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छतरपुर। ऑनलाइन गेम में 13 साल के बच्चे के 40 हजार रुपए और जान गंवाने के मामले में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। मां के मोबाइल पर ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान फ्री फायर गेम के संपर्क में आए कृष्णा को सबसे पहले गेम जीतने के साथ रुपए दो गुना करने का लालच देकर फंसाया गया। जब बच्चे ने गेम खेलने में रुचि दिखाई तो ऑनलाइन गेम खिलाने वाले ने बच्चे को फोन पर संपर्क कर माता-पिता के खाते से रुपए पेमेंट करने का तरीका सिखाया। बच्चों को कभी भी हारने की बात नहीं बताई गई, केवल जीत और दोगुने रुपए का झांसा दिया गया। इस तरह से बच्चा ऑनलाइन गेम के चक्कर में मां के 40 हजार रुपए हार गया।

हर बार देते रहे नया झांसा
बेटे ने मां के खाते से 10 हजार रुपए पेमेंट कर पहला गेम खेला, लेकिन रुपए हार गया। तब गेम खिलाने वाले ने बच्चे को उसकी गलती का हवाला देकर दोबारा खेलने पर निश्चित रुप से जीतने का झांसा दिया। बच्चा फिर बातों में आ गया और दोबारा पेमेंट कर दिया। लेकिन इस बार भी रुपए हार गया। उसके बाद गेम खिलाने वाले ने हारे हुए रुपए वापस पाने के लिए एक बार और खेलने का झांसा दिया। डूब चुके रुपए को वापस पाने के चक्कर में कृष्णा फिर पेमेंट करके गेम खेलता है। लेकिन इस बार भी हार मिली। इस तरह बच्चा रुपए हारता गया और मां के खाते से धीरे-धीरे 40 हजार रुपए निकल गए। मां के खाते से रुपए निकलने की बात खुलने का डर बच्चे के दिलोदिमाग में बैठ गया और शुक्रवार को बच्चे ने जीवनलीला समाप्त कर ली।

फोन की रिकॉर्डिंग जब्त
मां के जिस फोन से कृष्णा ऑनलाइन गेम खेलता और रुपए पेमेंट किए, उसमें पुलिस को गेम खिलाने वाले की ऑडियो क्लिप भी मिली है। जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है। ऑडियो की बातचीत में गेम खिलाने वाला बच्चे को गेम खेलने और पैसे लगाने का लालच दे रहा है। गेम खिलाने वाले ने कई बार फोन पर बात कर बच्चे को गेम खेलने के लिए झांसे में लिया। ऑडियो में बच्चे को ये भी बताया जा रहा है कि कैसे मां के बैंक खाते से फोन पे के जरिए ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करना है।

रिश्ते के बड़े भाई ने खोला राज
कृष्णा के रिश्ते में बड़े भाई आदित्य पांडेय भी दो साल पहले ऑनलाइन गेम की बुरी लत में पड़ गए थे। जो बड़ी मुश्किल से गेम की लत से बाहर निकले हैं। कृष्णा ने फ्री फायर को पहली बार 10 हजार रुपए का भुगतान मां के खाते से किया तब उसने आदित्य को बताया था। आदित्य कहते हैं कि फ्री फायर गेम में बच्चों को ऑनलाइन प्लेट फॉर्म पर एक दूसरे को मारने का गेम खिलाया जाता है। गेम खिलाने वालों की टीम के लोग बच्चों को फोन करके 10 हजार रुपए लगाकर गेम खेलने पर डबल पैसा मिलने का लालच देते हैं। बच्चों को ये नहीं बताया जाता कि आप हार सकते हैं, केवल जीतने और रुपए दोगुने करने का लालच दिया जाता है। गेम में एक ऐसा फीचर दिया गया है जिससे वे एक दूसरे से बात कर सकते हैं। इसके अलावा फोन पर भी गेम खिलाने वाले बात कर बच्चों को झांसे में लेते हैं।

घर में पसरा है मातम
अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद विवेक पांडेय और उनकी पत्नी प्रीति पांडेय सदमे में हैं। शनिवार की सुबह से ही रिश्तेदारों व जान पहचाना वालों का घर पर आना शुरु हो गया। बेटे के गम में मां अभी भी बेसुध है। ढांढस बंधाने आने वालों से पिता विवेक पांडेय मिल जरूर रहे हैं, लेकिन सदमे से अभी भी जुबान खामोश हैं। कोई अपना आता तो उसे देखकर आंखो से आंसू निकल आते। लोग ढांढस बंधाते तो हौसता मिलता, लेकिन फिर जैसे ही कोई आता तो आंखें झरना बन जाती। गम के आंसूओं में ने केवल परिवार बल्कि आसपड़ोस भी डूबा हुआ है। पूरे मोहल्ले में खामोशी सी छाई हुई है।


जांच की जा रही है
सुसाइड नोट में ऑनलाइन गेम में रुपए गंवाने का जिक्र है। सुसाइड नोट को जांच में लिया गया है। जो तथ्य सामने आएंगे, उसके हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी।

लोकेन्द्र सिंह, सीएसपी

न्यूज पंच
छतरपुर। वैक्सीन के प्रति जताने का सार्थक रिजल्ट सामने आने लगा है। जिले में रोजाना 900 सैंपल के टारगेट के तहत जिले में जून और जुलाई के 60 दिनों में लगभग 56 हजार लोगों के कोरोना टेस्ट किए गए हैं। इन कोरोना जांचों के दौरान 60 दिन के भीतर 33 पॉजिटिव मरीज मिले हैं। सिर्फ 3 मरीजों को छोड़कर शेष सभी स्वस्थ हो चुके हैं और तीन एक्टिव मरीज फिलहाल जिला अस्पताल में इलाजरत हैं। बड़ी बात ये है कि सभी 33 लोग जिन्हें कोरेाना का संक्रमण पाया गया उन्होंने कोरोना की वैक्सीन नहीं लगवाई थी। इससे स्पष्ट होता है कि जो लोग वैक्सीन लगवा रहे हैं वे काफी हद तक कोरोना से सुरक्षित हैं।

एंटीबॉडी और वैक्सीन के सुरक्षा चक्र से बच रहे लोग
कोरोना महामारी ने अप्रैल और मई के महीने में अपनी दूसरी लहर के दौरान जिले के सैकड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया। इस बीमारी के कारण अधिकृत रूप से जिले में 147 लोगों की मौत हुई जबकि स्वतंत्र अनुमान के मुताबिक जिले में मरने वालों की संख्या 500 से अधिक हो सकती है। दूसरी लहर के खात्मे के बाद जून और जुलाई में एक तरफ जहां तेजी से वैक्सीनेशन शुरू हुआ तो वहीं दूसरी तरफ एंटीबॉडी के कारण लोग इस महामारी से बचे रहे। सीएमएचओ डॉ. विजय पथौरिया बताते हैं कि वैक्सीन अथवा पूर्व से मौजूद एंटीबॉडी के कारण वायरस शरीर को अपनी चपेट में नहीं ले पाता इसलिए वैक्सीन लगवाना जरूरी है।

कलेक्टर बोले तीसरी लहर से जिले को सुरक्षित रखें, वैक्सीन लगवाएं
कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह ने एक बार फिर जिले के लोगों से अपील की है कि जो लोग अब तक किन्हीं कारणों से वैक्सीन नहीं लगवा सके हैं उन्हें भी जल्द से जल्द वैक्सीन लगवानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मंगलवार और शुक्रवार को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं के लिए टीकाकरण चल रहा है जबकि अन्य दिनों में 18 प्लस और 45 प्लस के लोगों को टीके लगाए जा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि देश के केरल में एक दिन में 22 हजार संक्रमित मरीज मिलने के बाद जल्द ही तीसरी लहर के आने का खतरा देश पर मंडराने लगा है।

फैक्ट फाइल
जिले में वैक्सीन का लक्ष्य- 11 लाख लगभग
अब तक लगे टीके- 588862
प्रथम डोज - 501145
दोनों डोज - 77817

छतरपुर। रक्षाबंधन के अवसर पर बहन अपने भाई को भेजी जाने वाली राखी को स्पेशन बनाना चाहे तो डाकघर से अपनी फोटो वाला डाक टिकट जारी करवा सकती हैं। केंद्र सरकार की माय स्टाम्प योजना के तहत आप स्वयं या अपने परिजनों के छायाचित्र के डाक टिकट जारी करवाए जा सकते हैं। भारत सरकार की माय स्टाम्प योजना का लाभ लेने का इससे बेहतर अवसर शायद ही हो सकता है। रक्षाबंधन के पर्व पर अधिकांश लोग डाक से राखियां भेजते हैं। ऐसे में आप जिन्हें राखी भेज रहे हैं उनकी तस्वीर या फिर अपनी तस्वीर वाला डाक टिकट लगाकर उन्हें सरप्राइज कर सकते हैं। राखी के साथ उन्हें एक तोहफा भी डाक टिकट के रूप में मिल सकेगा।

छतरपुर डाक संभाग के अधीक्षक प्रदीप खरे ने बताया कि आम आदमियों को पोस्ट ऑफिस से सीधे जोडऩे के उद्देश्य से यह योजना लागू की गई थी। इस योजना के तहत ग्राहक को मात्र तीन सौ रुपए जमा करने पर पोस्ट आफिस से पांच रुपए वाले बारह डाक टिकट जारी किए जाते हैं। ये डाक टिकट आप या तो फ्रेम करवाकर अपने पास यादगार के रूप में सुरक्षित रख सकते हैं या फिर इन्हें किसी भी लिफाफे में लगाकर देश के किसी भी कोने में चि_ी भेज सकते हैं। ये आम डाक टिकट की तरह ही मान्य होते हैं। खरे ने बताया कि कई लोग अपने परिचितों,संबंधियों की फ़ोटो के टिकट छपवाकर उन्हें गिफ्ट भी कर सकते हैं। खरे ने बताया कि मंगलवार को पन्ना कलेक्टर ने भी अपनी बेटी के छायाचित्र का डाक टिकट जारी करवाया है।

2011 में हुई थी शुरुवात
सन 2011 में फिलेटली की प्रदर्शनी के दौरान केंद्र सरकार ने इस योजना को आम ग्राहकों के लिए जारी किया था। इसके पीछे उद्देश्य भी यही था कि इस बहाने ज़्यादा से ज़्यादा लोग पोस्ट आफिस आएं और वहां संचालित विभिन्न योजनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त के उसका लाभ ले सकें। वैसे तो डाक टिकट किसी महापुरुष, महान व्यक्तित्व, किसी समारोह,आयोजन,अविष्कार या इसी तरह के अन्य मामलों में जारी किए जाते थे लेकिन अब ये आम आदमी की भी पहुंच में हैं।

छतरपुर संभाग में भी उपभोक्ता ले चुके हैं योजना का लाभ
पोस्टआफिस में छतरपुर डिवीजऩ के इंस्ट्रक्टर एके नागर बताते हैं कि छतरपुर डाक संभाग में लगभग डेढ़ सौ से ज़्यादा लोग इस योजना के तहत अपनी फोटोयुक्त डाक टिकट जारी कवाया चुके हैं जिसमे छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी का नाम भी शामिल है। नागर ने बताया कि उन्होंने भी इस योजना का लाभ उठाकर अपनी फोटोयुक्त डाक टिकट जारी करवाकर उसे फ्रेम कवाया है।

छतरपुर। महाराजपुर थाना इलाके के सेवड़ी गांव में सांप के डसने से दो सगे भाइयों की मौत हो गई। रात को सोते समय सांप ने पहले छोटे और फिर बड़े भाई को सांप ने डंस लिया। जिन्हें महाराजपुर अस्पताल लाया गया, लेकिन दोनों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। दोनों भाइयों की मौत के बाद घर में केवल दो बहनें और माता पिता ही बचे हैं। घटना के बाद से परिवार में मातम का माहौल है।

रात तीन बजे हुई घटना
घर में सोते समय रात 3 बजे सेवड़ी निवासी बब्बू यादव के 13 वर्षीय छोटे बेटे नीतेश यादव को सांप ने डस लिया। सांप के काटने के बाद नीतेश चिल्लाते हुए जागा और मां को बताया, लेकिन मां ने समझा कि पास में खेत हैं, इसलिए कोई कीड़ा मकौड़ा काट गया होगा। मां ने बच्चे को सोने के लिए कह दिया। लेकिन 20 मिनट के अंदर ही सांप ने घर के आंगन में सो रहे 18 वर्षीय बड़े लड़के ह्देश यादव को भी डस लिया। उसके बाद परिजनों ने सांप को भागते हुए देखा। इधर कुछ देर बाद छोटे बेटे नीतेश की तबीयत बिगडऩे लगी। परिजन बिना देर किए दोनों लड़कों को महाराजपुर अस्पताल लेकर पहुंचे जहां से उन्हें जिला अस्पताल रेफर किया गया लेकिन जिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही दोनों की मौत हो गई, जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने दोनों की मौत की औपचारिक घोषणा की। वहां जैसे ही गांव में इस घटना की जानकारी फैली तो पूरा गांव में मातम का माहौल निर्मित हो गया। बच्चों के परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।

किसान परिवार पर टूटी आफत
यादव परिवार ग्राम सेवड़ी का किसान परिवार है। घर में दो बेटे, दो लड़कियंा और माता-पिता है। नीतेश छोटा और ह्देश बड़ा बेटा है। जबकि दो बेटियां इन दोनों से बड़ी है। ह्देश दूध बेचने का काम करता है, जबकि नीतेश स्कूल में पढ़ता है। ये बेटे ही माता-पिता को खेती में मदद भी करते थे।

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